Tuesday, August 4, 2009

एच १ एन १ फ्लू

भारत के अख़बारों में आज एक ख़बर छपी , स्वाइन फ्लू का पुणे में पहला शिकार । यह भारत में इस फ्लू से पहली मौत हुई है और समय चलते अगर ठोस कदम नहीं उठाये गए तो आने वाले दिनों में यह एक भयावह रूप ले सकती है। पुणे जैसे शहर में १०० से ज्यादा लोग इस फ्लू की चपेट में आ चुके हैं। सरकार समाचार पत्रों में विज्ञापन भी दे रही है परन्तु ये काफी नहीं है। भारत में जहाँ आम आदमी को मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं , उनके लिए इस घातक बीमारी से लड़ना आसान नहीं होगा। लोग जागरूक रहेंगे तभी कुछ हो पायेगा। इस बिमारी के लक्षण अति सामान्य दिखते हैं जिससे बात और गंभीर हो जाती है । कौन सोच सकता है की एक जुखाम से किसी की जान भी जा सकती है। प्रयास करें की ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक इस बात को पहुंचाएं और जुखाम जैसी बात को भी गंभीरता से लें। सही जानकारी और सही उपचार से ही हम अपने समाज को इस फ्लू से बचा सकते हैं।

Monday, June 22, 2009

Meri duniya

इस दुनिया में लाखों लोग रोज जन्म लेते हैं और हजारों मौत की आगोश में सो जाते.ये चक्र सदियों से चलता आ रहा है और सदियों तक यूँ ही चलता रहेगा ।इंसान अपने जीवन में जीवित रहने के लिए कई काम करता है.ग़लत या फ़िर सही ,ये बाद की बात है। वह कई ऐसे भी काम करता है जिनसे दूसरों का भी भला होता है और कुछ ऐसे भी काम कर जाता है जिसमे सिर्फ़ उसका स्वार्थ छिपा होता है। उसका अपना एक तर्क होता है जिस के द्वारा उसे वह सही सिद्ध करने का प्रयास करता है । एक ही समाज के अंग होते हुए भी इतनी विविधता ? अजी समाज को छोडिये , एक परिवार की भीतर आप ये असामान्य बात का अनुभव कर सकते हैं। ऐसा क्यों है? क्या विचारों में समानता लाना इतना कठिन हो चला है ? हम क्यों नहीं मै से पहले हम के बार में सोचते हैं ? स्वार्थी होना बुरी बात नहीं , बस थोड़ा उसके दायरे को फैलाना है , जिससे की उसमे वो भी आ जायें जिनके बारे में कभी कभी ही सही , हम सोचते ज़रूर हैं। है ना? मै हूँ मोतीलाल ठाकुर । स्वागत है आपका , मेरी दुनिया में.